एकता में बल: एक बहुत अच्छी कहानी के रूप में समझे
एकता में बल
एकता में बल: एक समय की बात है जब कबूतरों का एक झुंड उड़ता हुआ कहीं जा रहा था इसी दौरान कबूतरों के झुंड में से एक कबूतर ने नीचे की ओर खाने के कुछ दाने पड़े हुए देखें।
तभी उसने बाकी कबूतरों को भी बताया कि नीचे खाने का कुछ पड़ा हुआ है पर उस दाने पर एक शिकारी ने अपना जाल बिछाया हुआ था यह बिछा हुआ जाल किसी भी कबूतरों द्वारा नहीं देखा गया।
सभी कबूतर दाना खाने के लालच में नीचे उतरे और जाल में फंस गए कबूतरों के नेता ने सोचा कि ऐसी संकट की घड़ी में उसे धैर्य से काम लेना चाहिए।
उसने अपने साथियों से कहा "हमें हिम्मत नहीं हरनी चाहिए" यदि हम एक साथ जोर लगाए तो हम इस जाल को लेकर एक साथ उड़ सकते हैं।
यह सुनकर सभी कबूतरों ने एक साथ जोर लगाया और जाल को लेकर उड़ गए शिकारी अपना हाथ मलता रह गया ।
काफी देर उड़ने के बाद कबूतर अपने एक दोस्त चूहे के पास पहुंचा चूहा और उसके साथियों ने मिलकर उस जाल को काट दिया और कबूतर आजाद हो गए।
शिक्षा:
इस कहानी से है हमें यह शिक्षा मिलती है की एकता में बल है यदि हम किसी काम को मिलकर करते हैं तो हमें उस काम में सफलता जरूर मिलती है।