Motivational story in Hindi अपने आप को पहचानो: यह हिंदी कहानी (Hindi kahani) एक ऐसे प्रेरणादायक (prernadayak/inspirational) कहानी के रूप में उन सभी बच्चों/विद्यार्थियों/बड़ो (kids/students/children's) के लिए है जो हमें बताता है कि किस तरह से हम अपने आपको पहचानो सकते है।
हम सभी जानते हैं कि, संघर्ष ही जीवन है अर्थात कठिनाइयां ही सफलता का रास्ता है इसलिए कभी भी दूसरों से उम्मीद मत रखो और ना ही अपनी तुलना किसी से करो और हमेशा खुद पर विश्वास रखकर मेहनत करना कभी ना छोड़े, यदि आप अपने लाइफ में कुछ बढ़ा करना चाहते है तो सपने हमेशा बढ़ा रखो और इसके लिए जीवन में लक्ष्य का होना बहुत जरुरी है।
कभी भी अपना समय बर्बाद मत करो और समय की कीमत को समझो और जीवन में आने वाली हर एक चुनौतियों को स्वीकार करो, सफल आदतें बनाओ, साथ ही साथ दुसरो को जज करने से बचे।
यदि आप अपने आप को हमेशा मोटिवेट करना चाहते हैं, जीवन (life) में हमेशा आगे बढ़ना चाहते हैं, कुछ नया सीखते, सिखाते रहना चाहते है, आप अपने लाइफ में सफलता (success) प्राप्त करना चाहते हैं, एक सफल व्यक्ति के रूप में सबके सामने आना चाहते है तो यह motivational stories Hindi me आपके लिए ही है इसलिए इसे लास्ट तक जरूर पढ़े।
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Motivational story in Hindi अपने आप को पहचानो |
तो चलिए आज हम इस ब्लॉग यानी की www.ldkalink.com पर Motivational story in Hindi अपने आप को पहचानो को पढ़ने जा रहे हैं।
अपने आप को पहचानो Motivational story in Hindi
एक समय की बात है जब एक व्यक्ति लोगों से परेशान होकर गौतम बुद्ध के पास जाते हैं और बताते हैं कि सब लोग मुझे किसी काम का ही नहीं समझते हैं ऐसे में अब आप ही बताएं मेरे इस दुनिया में आने का क्या मतलब है आखिर मुझे भगवान ने क्यों बनाया होगा, क्या करने के लिए मुझे इस दुनिया में भेजा है।
गौतम बुद्ध उनकी यह बात सुनकर मुस्कुराते हुए एक कीमती पत्थर उसके हाथ में रख देते हैं और उस व्यक्ति से कहते हैं कि तुम इस पत्थर को लेकर जाओ और अलग-अलग जगह इसकी कीमत पता करके आओ।
अगली सुबह वह व्यक्ति उस पत्थर को लेकर बेचने के लिए बाजार की ओर निकल जाता है और रास्ते में एक फल बेचने वाले के पास गया और उसको इस पत्थर को दिखाया फल वाले ने बताया कि इस पत्थर के बदले में आपको 10 फल दे सकता हूं।
वह आदमी उस फल वाले के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और फिर दूसरे से पूछने के लिए आगे निकल गया, अब वह एक सब्जी बेचने वाले के पास गया और उससे पूछा इस पत्थर की क्या कीमत होगी उस सब्जी वाले ने इस पत्थर के 3000 देने को बताया पर वह आदमी उस सब्जी वाले के जवाब से भी संतुष्ट नहीं हुआ और आगे की ओर निकल पड़ा।
आगे की ओर चलते-चलते अब वह आदमी एक सोने की दुकान पर पहुंच गया और वहां बैठे आदमी से पूछा इस पत्थर की क्या कीमत होगी मुझे इसके कितने रुपए मिल सकते हैं।
सोनार ने इस पत्थर के 30,000 रुपए देने के लिए राजी हो गया, लेकिन वह आदमी उस पत्थर को उसके पास नहीं छोड़ा और आगे की ओर फिर निकल पड़ा।
अब वह व्यक्ति आखिरी बार इस पत्थर की कीमत पूछने के लिए एक हीरे की दुकान पर चला गया और वही प्रश्न फिर से दोहराया तुम मुझे इस पत्थर के कितने रुपए दे सकते हो इस पत्थर की क्या कीमत है।
हीरे बेचने वाला उस पत्थर को देखते ही बहुत खुश हो गया और उस आदमी से एक सवाल किया तुम्हें यह पत्थर कहां मिला मैं तुम्हें इस पत्थर के मुमंगी कीमत दे सकता हूं, मैं तुम्हें इस पत्थर के 50 लाख रुपए देने के लिए राजी हूं यदि तुम इसे बेचना चाहो तो।
वह आदमी इस पत्थर की कीमत सुनते ही सोचने लगा कि आखिर यह पत्थर किस तरह का पत्थर है जो हर जगह अलग-अलग कीमत बताई जाती है यह सोचते हुए वह पत्थर को लेकर गौतम बुद्ध के पास वापस लौट जाते हैं।
गौतम बुद्ध के पास जाकर उस आदमी ने बताया कि इस पत्थर की अलग-अलग जगह पर पूछने पर सब ने अलग-अलग अपने अनुसार इसकी कीमत बताया।
अब आप मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर दो, कि मैं इस दुनिया में क्यों आया हूं भगवान ने मुझे किस लिए इस दुनिया में भेजा है क्यों लोग मुझे कोई काम का नहीं समझते हैं।
गौतम बुद्ध ने मुस्कुराते हुए उसके प्रश्न का जवाब दिया जैसे इस पत्थर की कोई कीमत निर्धारित नहीं की जा सकती, हर व्यक्ति अपने अनुसार अपने सोच के अनुसार ही इसकी कीमत निर्धारित करता है ठीक वैसे ही तुम हो, लोग तुम्हें भी अपने अनुसार ही समझते हैं।
ठीक इस पत्थर की तरह ही तुम भी हो एक अमूल्य व्यक्ति हो, तुम दुनिया में सबसे अलग हो, तुम्हें भी बस खुद को तरासने की जरूरत है फिर आप भी किसी से कम नहीं होंगे।
जिस तरह से एक पत्थर को तरास कर हीरे का रूप दे दिया जाता है ठीक वैसे ही अगर तुम्हें भी कोई तरासे तो तुम भी किसी हीरे से कम नहीं होंगे।
तुम्हें और पत्थर में फर्क सिर्फ इतना सा है कि पत्थर को किसी के द्वारा तरासा जाता है पर तुम्हे खुद ही अपने आप को यह काम करना होगा, खुद ही मेहनत करके अपने आप को बदलना होगा।
moral (शिक्षा)
अपने आप को पहचानो, और अपना पूरा समय खुद को बदलने में लगा दो।
यदि तुम किसी के पास जाकर अपने ही बारे में पूछते हो कि मैं क्या कर सकता हूं तो सामने वाला जैसा रहता है ठीक वैसे ही उसी नजर से तुम्हें भी देखता है।
तुम जितनी जगह लोगों के पास जाकर अपने बारे में जानना चाहोगे सभी अपन सोच के मुताबिक रहन-सहन के मुताबिक ही तुम्हारे बारे में भी बताया।
इसलिए यदि खुद को बदलना चाहते हो तो इसके लिए सबसे पहले आप खुद को पहचानो, खुद को तरासने में अपना पूरा समय लगा दो अपने अंदर इतना बदलाव लाओ की जो लोग तुम्हें बोलते थे कि यह काम तुम नहीं कर सकते हो वह भी इस शब्द को कभी ना बोल पाए।
तुम लाखों में एक हो, तुम वह कर सकते हो जो दुनिया का कोई आदमी नहीं कर सकता लेकिन यह तुम्हारा सोच पर निर्भर करता है कि तुम क्या सोचते हो।
जितना बड़ा तुम अपने बारे में कुछ करने का सोचोगे उतने ही आगे तुम जाओगे, यह पूरा खेल आपकी सोच पर निर्भर करता है कि आप क्या सोचते हैं और इसके लिए कितना मेहनत करते हैं।
यदि आप अपने में बदलाव देखना चाहते हैं तो यह बदलाव आप खुद ला सकते हैं दूसरा कोई नहीं और इसके लिए मेहनत करते रहो और अपना एक लक्ष्य निर्धारित करके जीवन में आगे बढ़ते रहो।
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